About Shodashi
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Shodashi’s mantra encourages self-discipline and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate greater Management above their feelings and actions, resulting in a far more conscious and purposeful approach to lifetime. This reward supports personal development and self-self-discipline.
Goddess Tripura Sundari Devi, often known as Shodashi or Lalita, is depicted with a loaded iconography that symbolizes her various characteristics and powers. Her divine kind is commonly portrayed as a good looking young lady, embodying the supreme elegance and grace on the universe.
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
Worshippers of Shodashi look for not simply materials prosperity but also spiritual liberation. Her grace is claimed to bestow both worldly pleasures and the means to transcend them.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
Devotees of Tripura Sundari engage in numerous rituals and tactics to specific their devotion and search for her blessings.
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति website इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
By embracing Shodashi’s teachings, folks cultivate a lifestyle enriched with intent, appreciate, and relationship into the divine. Her blessings remind devotees with the infinite magnificence and wisdom that reside in, empowering them to Dwell with authenticity and joy.
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥